प्रश्न: अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) भारत के विकास के प्राथमिकता क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए बहु-संस्थागत, अंतःविषयक अनुसंधान और वित्तपोषण को बढ़ावा देगा। टिप्पणी कीजिए।
Research National Research Foundation (ANRF) will promote multi-institutional, interdisciplinary research and funding to address India’s development priority areas. Comment.
उत्तर: अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) भारत सरकार द्वारा 2023 में स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, जिसका उद्देश्य देश में बहु-संस्थागत, अंतःविषयक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है। यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, स्वास्थ्य, मानविकी और सामाजिक विज्ञान सहित विविध क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है।
सकारात्मक प्रभाव
(1) वित्तीय संसाधनों में वृद्धि: ANRF ₹50,000 करोड़ के वित्तीय पैकेज के साथ अनुसंधान संस्थानों को आवश्यक संसाधन प्रदान करता है, जिससे अनुसंधान गतिविधियों में वृद्धि होती है।
(2) संवर्धित बुनियादी ढांचा: राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उन्नत प्रयोगशालाओं और शोध सुविधाओं की स्थापना से गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान संभव होता है।
(3) अंतःविषयक सहयोग: त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिए साझेदारी (पीएआईआर) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ता है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
(4) निजी क्षेत्र की भागीदारी: अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) उद्योग और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को बढ़ावा देता है, जिससे अनुसंधान में व्यावसायिकता और व्यावहारिकता आती है।
(5) समावेशिता को बढ़ावा: समावेशिता अनुसंधान अनुदान (आईआरजी) योजना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शोधकर्ताओं को अग्रिम अनुसंधान क्षेत्रों में कार्य करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
नकारात्मक प्रभाव
(1) निजी क्षेत्र पर निर्भरता: ANRF का 72% वित्तीय योगदान निजी क्षेत्र से अपेक्षित है, जिससे अनुसंधान की निरंतरता पर जोखिम उत्पन्न हो सकता है। निजी निवेश में उतार-चढ़ाव से परियोजनाओं की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। यह स्थिति अनुसंधान की दीर्घकालिक योजना के लिए चुनौतीपूर्ण है।
(2) प्रशासनिक जटिलताएं: ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रियाएं और अनुपालन आवश्यकताएं शोधकर्ताओं के लिए बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। शोधकर्ताओं का समय रिपोर्टिंग और बजट जैसे कार्यों में व्यतीत होता है, जिससे अनुसंधान गतिविधियां प्रभावित होती हैं। यह स्थिति अनुसंधान की गुणवत्ता और गति को प्रभावित कर सकती है।
(3) संसाधनों का असमान वितरण: कुछ प्रमुख संस्थानों को अधिक संसाधन मिलने से अन्य संस्थानों में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। इससे शोधकर्ताओं के बीच अवसरों की असमानता बढ़ सकती है। यह स्थिति अनुसंधान के समग्र विकास में बाधक हो सकती है।
(4) स्थानीय प्रतिभाओं की हानि: उच्च गुणवत्ता के शोध अवसरों की कमी से युवा शोधकर्ता विदेशों में अवसरों की तलाश कर सकते हैं। यह प्रवृत्ति देश की प्रतिभा पलायन को बढ़ावा देती है। इससे राष्ट्रीय विकास में दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
(5) नियामक चुनौतियां: ANRF के निर्णयों में राज्य सरकारों की सीमित भागीदारी से संघीय संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकारों की सीमित भूमिका से नीति निर्माण में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। यह स्थिति अनुसंधान के क्षेत्रीय विकास में बाधक हो सकती है।
ANRF भारत में अनुसंधान और नवाचार के पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी, प्रशासनिक सुधार और संसाधनों का समान वितरण आवश्यक है। सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से ही ANRF अपने उद्देश्यों में सफल हो सकता है।