प्रश्न: भारत के भुगतान संतुलन (BoP) के प्रमुख घटकों के महत्व पर चर्चा कीजिए। ये घटक देश के आर्थिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रतिबिंबित करते हैं?
Discuss the importance of major components of India’s balance of payments (BoP). How do these components reflect the economic health of the country?
उत्तर: भुगतान संतुलन (BoP) किसी देश के निवासियों द्वारा किए गए सभी अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन का रिकॉर्ड है। यह विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपए की सापेक्ष मांग को मापता है, जो विनिमय दरों और आर्थिक स्थिरता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
भारत के भुगतान संतुलन (BoP) के प्रमुख घटक
(1) चालू खाता: चालू खाता, जो व्यापार संतुलन और एकतरफा हस्तांतरणों को शामिल करता है, देश की बाहरी व्यापार गतिविधियों और आर्थिक स्थिति का प्रमुख सूचक है। इसमें निर्यात, आयात, सेवाओं का व्यापार, और विदेशी सहायता एवं प्रेषण शामिल होते हैं, जो देश की विदेशी मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित करते हैं।
(2) पूंजी खाता: पूंजी खाता में विदेशी निवेश, ऋण, और अन्य वित्तीय संपत्तियों के प्रवाह का रिकॉर्ड होता है, जो देश के आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है। इसमें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश जैसे दीर्घकालिक निवेश शामिल होते हैं, जो देश में पूंजी प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
(3) विदेशी मुद्रा भंडार: विदेशी मुद्रा भंडार, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित, संकट के समय भारतीय मुद्रा की स्थिरता बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भुगतान की क्षमता सुनिश्चित करने का कार्य करता है। यह भंडार भारत की वित्तीय सुरक्षा और विदेशी मुद्राओं के जोखिम से बचाव में मदद करता है।
(4) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश: यह विदेशी निवेशकों द्वारा देश में दीर्घकालिक निवेश को संदर्भित करता है, जो औद्योगिक विकास, तकनीकी उन्नति, और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करता है। FDI का प्रवाह सीधे देश की उत्पादकता और वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, और आर्थिक प्रगति में एक प्रमुख कारक है।
(5) भुगतान असंतुलन: भुगतान असंतुलन BoP में घाटे या अधिशेष को दर्शाता है, जो किसी देश के आर्थिक स्वास्थ्य का सटीक सूचक है। यह आर्थिक नीति के प्रभाव को दिखाता है और देश की वित्तीय स्थिति में बदलाव लाने के लिए नीति-निर्माताओं द्वारा सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं।
भुगतान संतुलन का आर्थिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
(1) आर्थिक स्थायित्व: BoP देश की आर्थिक स्थिरता को निर्धारित करता है। यदि BoP में संतुलन बनाए रखा जाए, तो यह देश की वित्तीय नीतियों की सफलता और विदेशी मुद्रा भंडार के स्थायित्व को दिखाता है, जो आर्थिक संकटों से निपटने में सहायक होता है।
(2) वैश्विक प्रतिस्पर्धा: BoP निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। सकारात्मक BoP व्यापार क्षमता को दर्शाता है, जिससे देश की प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और यह विश्व बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करता है, जो आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।
(3) विकास और निवेश: BoP का सकारात्मक प्रभाव विदेशी निवेश को आकर्षित करता है। यह विकासशील क्षेत्रों में वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिससे रोजगार अवसरों में वृद्धि होती है और यह देश के विकास को गति प्रदान करता है, विशेष रूप से औद्योगिक और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में।
(4) मुद्रा स्थिरता: BoP का असंतुलन मुद्रा की विनिमय दर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जब BoP घाटे में होता है, तो इससे विदेशी मुद्रा की कमी होती है, जिससे रुपये का मूल्य घट सकता है और मुद्रा बाजार में अस्थिरता पैदा होती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
(5) नीति निर्धारण: BoP के आंकड़े सरकार के नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह आंकड़े व्यापार नीतियों, विदेशी मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय रणनीतियों के निर्माण में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे देश के आर्थिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सटीक कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत के भुगतान संतुलन के घटक देश के आर्थिक स्वास्थ्य के प्रमुख संकेतक हैं। वर्तमान खाता, पूंजी खाता और वित्तीय खाता का संतुलन समग्र आर्थिक स्थिरता, मुद्रा की स्थिति और विदेशी निवेश में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है। इन घटकों का विश्लेषण देश के वित्तीय संकट या समृद्धि को समझने में मदद करता है।