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प्रश्न: वर्तमान में भारत समेत विश्व के अनेक देश गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ मानवता पर भी गंभीर प्रश्न चिह्न खड़े करता है। उपरोक्त कथन के संदर्भ में शहरी जल संकट के कारणों और उपायों की चर्चा कीजिए।

At present, many countries of the world including India are facing serious water crisis which raises serious questions on global food security as well as humanity. Discuss the causes and solutions of the urban water crisis in the context of the above statement.

उत्तर: शहरी जल संकट वह स्थिति है जिसमें शहरों में जल की उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं होती। यह समस्या जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित शहरीकरण और जल संसाधनों के अक्षम प्रबंधन के कारण उत्पन्न होती है। भारत में कई बड़े शहर, जैसे- दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु, गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं।

शहरी जल संकट के प्रमुख कारण

(1) अत्यधिक जल दोहन: बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण जल की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे जल स्रोतों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता पिछले कुछ दशकों में तेजी से घटी है।

(2) जलवायु परिवर्तन: अनियमित वर्षा और बढ़ते तापमान के कारण जल स्रोतों का पुनर्भरण प्रभावित हो रहा है, जिससे जल संकट गहराता जा रहा है। भारतीय शहरों में गर्मी के मौसम में पानी की मांग बढ़ जाती है, जबकि जल स्रोत सूखने लगते हैं।

(3) असंवेदनशील जल प्रबंधन: जल संरक्षण और पुनर्चक्रण की प्रभावी नीतियों की कमी के कारण जल की बर्बादी बढ़ रही है। शहरों में लीकेज और अव्यवस्थित जल आपूर्ति व्यवस्थाओं के कारण बहुत अधिक मात्रा में जल बेकार चला जाता है।

(4) भूजल स्तर में गिरावट: अत्यधिक जल दोहन और अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों के कारण भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। कई भारतीय शहरों में भूजल स्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है।

(5) प्रदूषण: औद्योगिक और घरेलू अपशिष्टों के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं, जिससे पीने योग्य जल की उपलब्धता कम हो रही है। नदी और तालाबों में अपशिष्ट जल छोड़ा जा रहा है, जिससे पानी की गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है।

शहरी जल संकट से निपटने के उपाय

(1) जल संरक्षण: वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण को बढ़ावा देकर जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। कई शहरों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया गया है।

(2) सतत जल प्रबंधन: जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने और अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण को अनिवार्य करने से जल संकट को कम किया जा सकता है। यदि उद्योगों और घरों में जल पुनर्चक्रण प्रणाली लागू की जाए तो जल की बर्बादी को रोका जा सकता है।

(3) भूजल पुनर्भरण: जल पुनर्भरण तकनीकों को अपनाकर भूजल स्तर को स्थिर किया जा सकता है। यदि बड़े पैमाने पर पुनर्भरण योजनाएं लागू की जाएं तो जल संकट को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।

(4) नीतिगत सुधार: सरकार को जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए सख्त नीतियाँ लागू करनी चाहिए। जल उपयोग को नियंत्रित करने के लिए उचित कानून लागू किए जाएं ताकि अनावश्यक जल दोहन रोका जा सके।

(5) जन जागरूकता: नागरिकों को जल बचाने और सतत जल उपयोग की आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। जल संकट को कम करने में समाज की भागीदारी आवश्यक है।

भारत में जल संकट से निपटने की संभावनाएं

(1) तकनीकी नवाचार: जल शुद्धिकरण और पुनर्चक्रण की नई तकनीकों को अपनाकर जल संकट को कम किया जा सकता है। यदि उन्नत जल शुद्धिकरण तकनीकों को बड़े पैमाने पर लागू किया जाए तो पीने योग्य जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।

(2) सरकारी योजनाएं: ‘अटल भूजल योजना’ और ‘जल जीवन मिशन’ जैसी योजनाएं जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही हैं। यदि इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए तो जल संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

(3) सार्वजनिक-निजी भागीदारी: जल प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी से जल संकट का समाधान किया जा सकता है। यदि निजी कंपनियों को जल संरक्षण में सहयोगी बनाया जाए तो जल संकट का प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है।

(4) स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन: नगर निगमों और स्थानीय प्रशासन को जल संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। यदि स्थानीय प्रशासन नागरिकों को जल प्रबंधन में शामिल करे तो जल संकट को आसानी से हल किया जा सकता है।

(5) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जल संकट से निपटने के लिए भारत को अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। यदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल प्रबंधन की सर्वोत्तम तकनीकों को भारत में अपनाया जाए तो जल संकट का प्रभावी समाधान संभव हो सकता है।

शहरी जल संकट एक गंभीर समस्या है, जिसे प्रभावी जल प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और जन जागरूकता के माध्यम से हल किया जा सकता है। भारत में जल संरक्षण को प्राथमिकता देकर जल संकट को कम किया जा सकता है। सतत विकास के लिए जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है।

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