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प्रश्न: डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून की आवश्यकता पर बल देते हुए डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा कीजिए। साथ ही, इसके आलोचनात्मक पहलुओं पर भी प्रकाश डालिए।

Discuss the salient features of the Digital Competition Bill while emphasizing the need for a digital competition law. Also, throw light on its critical aspects.

उत्तर: डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून डिजिटल बाजारों में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। भारत सरकार ने डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक 2024 को प्रतिस्पर्द्धात्मक संतुलन बनाए रखने और डिजिटल व्यापार को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया है।

डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून की आवश्यकता

(1) डिजिटल बाजारों में संतुलन: डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून डिजिटल बाजारों में संतुलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। यह उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा करता है और प्रतिस्पर्द्धात्मक संतुलन बनाए रखता है।

(2) अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना: यह कानून डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए आवश्यक है। इससे बड़ी टेक कंपनियों का एकाधिकार कम होगा और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।

(3) उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा: डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इससे उपभोक्ताओं की गोपनीयता और डिजिटल अधिकार संरक्षित रहेंगे।

(4) नवाचार को बढ़ावा: यह कानून डिजिटल कंपनियों के नवाचार को बढ़ावा देता है और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करता है। इससे स्टार्टअप्स को अधिक अवसर मिल सकते हैं और डिजिटल व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

(5) वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून भारतीय डिजिटल कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में सक्षम बनाता है। यह उन्हें अधिक प्रभावी तरीके से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने का अवसर देता है।

डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक की प्रमुख विशेषताएं

(1) एक्स-एंटे फ्रेमवर्क: यह विधेयक संभावित प्रतिस्पर्द्धात्मक हानियों को रोकने के लिए पूर्व-नियोजित नियमों का प्रस्ताव करता है। यह डिजिटल बाजारों में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए प्रभावी है और प्रतिस्पर्द्धात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

(2) व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यम (SSDE): विधेयक बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को SSDEs के रूप में वर्गीकृत करता है और उनके लिए विशेष नियम लागू करता है। इससे बड़ी तकनीकी कंपनियों के एकाधिकार को नियंत्रित किया जा सकता है और छोटे व्यवसायों को प्रतिस्पर्द्धा में समान अवसर मिल सकते हैं।

(3) उपभोक्ता संरक्षण: विधेयक उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रावधान करता है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देता है और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करता है।

(4) भारी जुर्माने का प्रावधान: विधेयक प्रतिस्पर्द्धात्मक नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान करता है। यह डिजिटल कंपनियों को अनुशासन में रखने के लिए प्रभावी है और प्रतिस्पर्द्धात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

(5) अंतर्राष्ट्रीय समानता: यह विधेयक यूरोपीय संघ के डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) के समान है और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा मानकों के अनुरूप है। इससे भारतीय डिजिटल बाजार को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में समावेशी बनाया जा सकता है।

डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक के आलोचनात्मक पहलू

(1) MSMEs पर प्रभाव: विधेयक के कठोर नियम छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के विकास को बाधित कर सकते हैं। यह उनके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिस्पर्द्धा करना कठिन बना सकता है।

(2) नवाचार पर प्रभाव: विधेयक के कठोर नियम डिजिटल कंपनियों के नवाचार को सीमित कर सकते हैं। यह तकनीकी विकास को धीमा कर सकता है और स्टार्टअप्स के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है।

(3) नियामक जटिलता: विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में जटिलता हो सकती है, जिससे प्रशासनिक बोझ बढ़ सकता है। इससे डिजिटल कंपनियों को अतिरिक्त अनुपालन आवश्यकताओं का सामना करना पड़ सकता है।

(4) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा: विधेयक के कठोर नियम भारतीय डिजिटल कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में कमजोर बना सकते हैं। इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

(5) डेटा गोपनीयता: विधेयक के प्रावधान डेटा गोपनीयता के मुद्दों को पूरी तरह से संबोधित नहीं कर सकते हैं। इससे उपभोक्ताओं के डिजिटल अधिकार कमजोर हो सकते हैं और डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं बनी रह सकती हैं।

डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून भारत में डिजिटल बाजारों में संतुलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक 2024 उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा करता है, लेकिन इसके आलोचनात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे अधिक प्रभावी और संतुलित बनाने की आवश्यकता है। 

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