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प्रश्न: भारतीय डेयरी उद्योग में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की अधिकता के पीछे के कारण बताइए। इस अधिशेष ने डेयरी किसानों को आर्थिक और राजनीतिक रूप से कैसे प्रभावित किया है?

Explain the reasons behind the surplus of skimmed milk powder (SMP) in the Indian dairy industry. How has this surplus affected the dairy farmers economically and politically?

उत्तर: स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) दूध से वसा हटाकर प्राप्त किया गया सूखा पाउडर है, जिसका उपयोग विभिन्न दुग्ध उत्पादों में किया जाता है। भारत में, दूध उत्पादन में वृद्धि और मांग में कमी के कारण SMP का अधिशेष उत्पन्न हुआ है, जिससे डेयरी किसानों को आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) की अधिकता के कारण

(1) दूध उत्पादन में वृद्धि: उन्नत पशुपालन तकनीकों, बेहतर प्रजनन प्रथाओं और किसानों को उच्च दूध मूल्य मिलने के कारण दूध उत्पादन में वृद्धि हुई। इससे अधिशेष दूध को SMP में परिवर्तित किया गया, जिससे SMP की अधिकता उत्पन्न हुई। ​

(2) मांग में कमी: उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और संस्थागत मांग में गिरावट के कारण दुग्ध उत्पादों की मांग में कमी आई। इससे SMP का उपभोग घटा और अधिशेष बढ़ा। ​

(3) निर्यात में बाधाएं: वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा, गुणवत्ता मानकों और सीमित निर्यात अवसरों के कारण भारत से SMP का निर्यात सीमित हो गया। इससे घरेलू बाजार में अधिशेष बढ़ा। ​

(4) भंडारण की सीमाएं: SMP का सीमित शेल्फ लाइफ होने के कारण, लंबे समय तक भंडारण संभव नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, अधिशेष SMP की गुणवत्ता में गिरावट आती है, जिससे विपणन में कठिनाई होती है। ​

(5) नीतिगत चुनौतियां: सरकारी नीतियों और समर्थन की कमी के कारण SMP के अधिशेष को नियंत्रित करना कठिन हो गया है। इससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता और उद्योग पर दबाव बढ़ता है।

डेयरी किसानों पर आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव

(1) आय में कमी: SMP की कीमतों में गिरावट के कारण डेयरी किसानों की आय में कमी आई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई। कम कीमतों के चलते दूध की खरीद दर घट गई, जिससे किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।​

(2) प्रोत्साहन में कमी: दूध के मूल्य में गिरावट के कारण किसानों में दूध उत्पादन के प्रति प्रोत्साहन में कमी आई। इससे उत्पादन में गिरावट हुई और पशुपालन में निवेश घटा।​

(3) राजनीतिक असंतोष: किसानों की समस्याओं के कारण राजनीतिक असंतोष बढ़ा, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ा। कई राज्यों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए, जिससे सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा।​

(4) नीतिगत हस्तक्षेप: सरकार को किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना पड़ा, जैसे कि समर्थन मूल्य निर्धारित करना। कुछ राज्यों ने किसानों को सब्सिडी प्रदान की, जिससे उनकी आय में सुधार हुआ।​

(5) सामाजिक प्रभाव: किसानों की आर्थिक समस्याओं के कारण सामाजिक तनाव बढ़ा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष उत्पन्न हुआ। आर्थिक दबाव के चलते कई किसानों ने पशुपालन छोड़ दिया, जिससे सामाजिक संरचना प्रभावित हुई।

भविष्य के लिए संभावित समाधान

(1) निर्यात को बढ़ावा देना: सरकार को स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) के निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहनों की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे अधिशेष को कम किया जा सके। यह कदम घरेलू बाजार में SMP की कीमतों को स्थिर करने और किसानों की आय में सुधार करने में सहायक होगा। ​

(2) भंडारण सुविधाओं का विकास: SMP के लिए उन्नत और दीर्घकालिक भंडारण सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए, ताकि अधिशेष को सुरक्षित रखा जा सके। उचित भंडारण से उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है और विपणन के लिए अधिक समय मिलता है। ​

(3) नई उत्पाद श्रेणियों का विकास: SMP का उपयोग करके नए उत्पादों का विकास किया जाना चाहिए, जिससे इसकी मांग बढ़े और अधिशेष कम हो। उदाहरणस्वरूप, बेकरी, मिठाई और पोषण उत्पादों में SMP का प्रयोग किया जा सकता है। ​

(4) नीतिगत सुधार: सरकार को डेयरी उद्योग के लिए स्थायी और प्रभावी नीतियों का निर्माण करना चाहिए, जिससे किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके। इसमें समर्थन मूल्य निर्धारण, विपणन सहायता और निर्यात प्रोत्साहन शामिल हो सकते हैं।​

(5) किसानों के लिए वित्तीय सहायता: किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए, जिससे वे उत्पादन जारी रख सकें और आर्थिक संकट से उबर सकें। यह सहायता ऋण माफी, सब्सिडी या प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के रूप में हो सकती है।

भारतीय डेयरी उद्योग में स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) की अधिकता ने डेयरी किसानों को आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावित किया है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को नीतिगत हस्तक्षेप, निर्यात को बढ़ावा और किसानों के लिए समर्थन उपायों की आवश्यकता है, जिससे डेयरी उद्योग की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

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