प्रश्न: जलवायु परिवर्तन एवं संसाधनों की कमी जैसी वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के रूप में हरित प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है। हालांकि, इसके अनुप्रयोग की अपार संभावनाओं के साथ कुछ चुनौतियां भी है। समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
Green technology has emerged as an important option to address global environmental challenges such as climate change and resource depletion. However, along with the immense potential of its application, there are also some challenges. Critically evaluate.
उत्तर: हरित प्रौद्योगिकी (Green Technology) पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने वाली तकनीकों का समूह है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय संसाधनों और प्रदूषण नियंत्रण को बढ़ावा देना है। जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी के समाधान के रूप में यह एक प्रभावी विकल्प है। भारत में इसका उपयोग सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए बढ़ रहा है।
हरित प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग
(1) नवीकरणीय ऊर्जा: सौर, पवन और जलविद्युत ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है। भारत में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है। 2024 तक भारत ने 100 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।
(2) हरित भवन निर्माण: ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों के उपयोग से टिकाऊ भवनों का निर्माण किया जाता है। इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) के तहत प्रमाणित ग्रीन बिल्डिंग्स ऊर्जा की खपत को 30-40% तक कम करती हैं। इससे जल और बिजली की बचत होती है और पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है।
(3) कृषि में हरित तकनीक: जैविक खेती, ड्रिप सिंचाई और सटीक कृषि तकनीकों का उपयोग जल और उर्वरकों की खपत को कम करता है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को जल बचत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि और जल संरक्षण संभव हुआ है।
(4) अपशिष्ट प्रबंधन: पुनर्चक्रण और अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन तकनीकों का उपयोग करके कचरे को कम किया जाता है। भारत सरकार की स्वच्छ भारत मिशन पहल ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को सुधारने में अहम भूमिका निभाई है। इससे शहरों में अपशिष्ट पुनर्चक्रण दर में वृद्धि हुई है।
(5) परिवहन क्षेत्र में सुधार: इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन ईंधन तकनीकों के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाता है। FAME-II योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया है, जिससे 2030 तक भारत में ईवी उपयोग बढ़ने की उम्मीद है।
हरित प्रौद्योगिकी की चुनौतियां
(1) उच्च लागत: हरित प्रौद्योगिकी के विकास और कार्यान्वयन में प्रारंभिक निवेश अधिक होता है, जिससे छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए इसे अपनाना कठिन हो सकता है। भारत में सौर ऊर्जा उपकरणों की ऊँची लागत छोटे उत्पादकों के लिए बाधा बनी हुई है।
(2) तकनीकी सीमाएं: कई हरित तकनीकों को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा अभी विकसित नहीं हुआ है। ऊर्जा भंडारण की सीमाएं सौर और पवन ऊर्जा के व्यापक उपयोग में चुनौती बनी हुई हैं।
(3) नीतिगत बाधाएं: हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी सरकारी नीतियों की आवश्यकता है। भारत में कार्बन टैक्स जैसे प्रोत्साहन अभी तक व्यापक रूप से लागू नहीं हुए हैं, जिससे जीवाश्म ईंधन की निर्भरता बनी हुई है।
(4) जन जागरूकता की कमी: हरित प्रौद्योगिकी के लाभों के बारे में आम जनता और उद्योगों में जागरूकता की कमी से इनका व्यापक रूप से अपनाना कठिन हो जाता है। कई भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों की जानकारी सीमित है।
(5) पर्यावरणीय प्रभाव: कुछ हरित तकनीकों, जैसे लिथियम आयन बैटरी उत्पादन, में पर्यावरणीय चुनौतियां भी होती हैं, जिन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करने की आवश्यकता है। बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन एक उभरती चुनौती है।
भारत में हरित प्रौद्योगिकी की संभावनाएं
(1) सरकारी समर्थन: भारत सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी योजनाएं चला रही है, जिससे हरित प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ रहा है। 2030 तक भारत ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी बनने का लक्ष्य रखता है।
(2) नवाचार और अनुसंधान: हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आईआईटी और अन्य अनुसंधान संस्थानों द्वारा किए जा रहे प्रयासों से नई और अधिक प्रभावी तकनीकों का विकास संभव हो सकता है। अनुसंधान में सुधार से ऊर्जा दक्षता बढ़ सकती है।
(3) नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार: भारत में 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है।
(4) हरित स्टार्टअप्स का उदय: कई भारतीय स्टार्टअप्स हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार कर रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। ग्रीन मोबिलिटी स्टार्टअप्स इस दिशा में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
(5) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत विभिन्न देशों और संगठनों के साथ COP28 और अन्य वैश्विक मंचों पर हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कर रहा है। वैश्विक स्तर पर सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत हरित ऊर्जा में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
हरित प्रौद्योगिकी जलवायु परिवर्तन और संसाधन की कमी के समाधान के रूप में उभर रही है। भारत में इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नीतिगत सुधार, जागरूकता और नवाचार आवश्यक हैं। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए हरित प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाना आवश्यक है।