प्रश्न: हाल के समय में हीट वेव को आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित आपदाओं में शामिल करने की लगातार मांग उठ रही है। इस प्रकार की मांग के प्रमुख आधारों की व्याख्या कीजिए।
In recent times, there is a continuous demand to include heat waves in the disasters notified under the Disaster Management Act. Explain the main grounds of this type of demand.
उत्तर: हीट वेव एक जलवायु संबंधी आपदा है जिसमें अत्यधिक उच्च तापमान लंबे समय तक बना रहता है, जिससे जन-धन की हानि होती है। भारत में मार्च से जून के बीच हीट वेव की घटनाएँ अधिक होती हैं, विशेष रूप से उत्तर भारत में। हाल के वर्षों में हीट वेव की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ी है, जिससे इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित आपदाओं में शामिल करने की मांग उठ रही है।
हीट वेव को अधिसूचित आपदा में शामिल करने के प्रमुख आधार
(1) जन स्वास्थ्य पर प्रभाव: अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती हैं, जिससे मृत्यु दर में वृद्धि होती है। भारत में हीट वेव के कारण हजारों लोगों की जान जाती है, विशेष रूप से बुजुर्गों और श्रमिकों को अधिक खतरा होता है।
(2) आर्थिक नुकसान: हीट वेव के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे किसानों की आय घटती है और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक गर्मी से फसलों की पैदावार कम होती है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ता है।
(3) शहरी क्षेत्रों में संकट: शहरी क्षेत्रों में गर्मी का प्रभाव अधिक होता है, जिससे बिजली की मांग बढ़ती है और जल संकट उत्पन्न होता है। एयर कंडीशनिंग और कूलिंग सिस्टम की अधिक मांग से विद्युत ग्रिड पर दबाव बढ़ता है, जिससे ब्लैकआउट की संभावना बढ़ती है।
(4) पर्यावरणीय प्रभाव: अत्यधिक गर्मी से जल स्रोत सूख जाते हैं, वन्यजीव प्रभावित होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है। हीट वेव के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ती हैं, जिससे वनस्पति और जीवों को नुकसान होता है।
(5) आपदा राहत की आवश्यकता: हीट वेव से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता होती है, जिसे आपदा अधिनियम के तहत अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। यदि इसे अधिसूचित आपदा घोषित किया जाए, तो सरकार राहत कार्यों के लिए विशेष बजट आवंटित कर सकेगी।
हीट वेव को अधिसूचित आपदा बनाने के संभावित लाभ
(1) बेहतर आपदा प्रबंधन: सरकार हीट वेव से निपटने के लिए विशेष योजनाएँ बना सकेगी और राहत कार्यों को प्रभावी बना सकेगी। इससे प्रभावित क्षेत्रों में जल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाएँ और बिजली प्रबंधन को बेहतर किया जा सकेगा।
(2) स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को हीट वेव से निपटने के लिए विशेष सुविधाएँ प्रदान की जा सकेंगी। हीट वेव के दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त संसाधन दिए जा सकते हैं।
(3) आर्थिक सहायता: किसानों और श्रमिकों को हीट वेव से हुए नुकसान की भरपाई के लिए वित्तीय सहायता दी जा सकेगी। सरकार विशेष अनुदान और बीमा योजनाएँ लागू कर सकती है, जिससे प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी।
(4) पर्यावरण संरक्षण: जल स्रोतों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जा सकेंगे। सरकार जल संरक्षण और वृक्षारोपण कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित कर सकती है।
(5) जन जागरूकता: लोगों को हीट वेव से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया जा सकेगा, जिससे मृत्यु दर कम होगी। सरकार सार्वजनिक अभियान चला सकती है, जिससे लोग हीट वेव के दौरान सावधानी बरत सकें।
हीट वेव की बढ़ती तीव्रता और प्रभाव को देखते हुए इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित आपदा में शामिल करना आवश्यक है। इससे सरकार को राहत कार्यों और आपदा प्रबंधन में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी। जन स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।