प्रश्न: भारत ने अपने पहले परमाणु परीक्षण पोखरण 1 (स्माइलिंग बुद्धा) के 50 वर्ष पूरे किए हैं। वर्तमान में भारत की परमाणु नीति के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इस नीति में परिवर्तन के पक्ष एवं विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
India has completed 50 years of its first nuclear test Pokhran 1 (Smiling Buddha). Throw light on the important aspects of India’s nuclear policy at present and present your arguments in favour and against the change in this policy.
उत्तर: भारत ने 18 मई 1974 को पोखरण-1 (स्माइलिंग बुद्धा) परमाणु परीक्षण किया, जिससे वह परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों में शामिल हुआ। भारत की परमाणु नीति “नो फर्स्ट यूज़” (NFU) और “न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता” (CMD) पर आधारित है। यह नीति परमाणु हथियारों के गैर-प्रसार और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
भारत की परमाणु नीति के महत्त्वपूर्ण पहलू
(1) नो फर्स्ट यूज़ (NFU): भारत ने स्पष्ट किया है कि वह परमाणु हथियारों का उपयोग पहले नहीं करेगा, बल्कि केवल प्रतिरोधक क्षमता के रूप में रखेगा। यह नीति भारत की रक्षा रणनीति को संतुलित बनाती है और परमाणु हथियारों के अनावश्यक उपयोग को रोकती है।
(2) न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता (CMD): भारत परमाणु हथियारों की सीमित संख्या बनाए रखता है, जिससे अनावश्यक हथियारों की होड़ को रोका जा सके। यह नीति परमाणु हथियारों के अनावश्यक विस्तार को रोकती है और रक्षा बजट को संतुलित बनाए रखती है।
(3) नागरिक नियंत्रण: परमाणु हथियारों के उपयोग का अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा लिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि परमाणु हथियारों का उपयोग केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही किया जाए।
(4) गैर-प्रसार प्रतिबद्धता: भारत परमाणु हथियारों के गैर-प्रसार को बढ़ावा देता है और अंतर्राष्ट्रीय संधियों में सक्रिय भागीदारी करता है। भारत ने परमाणु अप्रसार संधियों में भाग नहीं लिया, लेकिन वह परमाणु हथियारों के अनियंत्रित प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
(5) परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग: भारत परमाणु ऊर्जा को बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए उपयोग करता है। यह नीति परमाणु ऊर्जा के सकारात्मक उपयोग को बढ़ावा देती है और सतत विकास को सुनिश्चित करती है।
परमाणु नीति में परिवर्तन के पक्ष में तर्क
(1) बदलते वैश्विक परिदृश्य: NFU नीति को संशोधित करने से भारत की सुरक्षा रणनीति अधिक प्रभावी हो सकती है। बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत को अपनी रक्षा नीति को अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता हो सकती है।
(2) प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने से भारत की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित होगी। भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए।
(3) रणनीतिक लचीलापन: परमाणु नीति में बदलाव से भारत को अधिक रणनीतिक विकल्प मिल सकते हैं। यदि भारत अपनी परमाणु नीति में लचीलापन लाता है, तो वह विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है।
(4) तकनीकी उन्नति: परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण से भारत की रक्षा प्रणाली अधिक प्रभावी हो सकती है। भारत को अपनी परमाणु तकनीक को उन्नत करने और आधुनिक परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
(5) राष्ट्रीय सुरक्षा: बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में परमाणु नीति में संशोधन से भारत की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है। भारत को अपनी सुरक्षा नीति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए परमाणु नीति में आवश्यक संशोधन करने चाहिए।
परमाणु नीति में परिवर्तन के विपक्ष में तर्क
(1) अंतर्राष्ट्रीय छवि: NFU नीति में बदलाव से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि प्रभावित हो सकती है और परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ सकती है। भारत को अपनी वैश्विक छवि को बनाए रखने के लिए NFU नीति को बरकरार रखना चाहिए।
(2) आर्थिक बोझ: परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने से आर्थिक बोझ बढ़ेगा और अन्य विकास योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। भारत को अपने रक्षा बजट को संतुलित बनाए रखने के लिए परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित रखना चाहिए।
(3) क्षेत्रीय तनाव: परमाणु नीति में बदलाव से क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है और भारत की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। यदि भारत अपनी परमाणु नीति में बदलाव करता है, तो इससे पड़ोसी देशों के साथ तनाव बढ़ सकता है।
(4) परमाणु अप्रसार संधियों का प्रभाव: भारत की परमाणु नीति में बदलाव से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधियों पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत को वैश्विक परमाणु अप्रसार प्रयासों में अपनी भूमिका को बनाए रखना चाहिए।
(5) नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण: परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या से मानवता पर खतरा बढ़ सकता है और नैतिकता पर प्रश्न उठ सकते हैं। भारत को परमाणु हथियारों के उपयोग को सीमित रखने और शांति प्रयासों को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए।
भारत की परमाणु नीति संतुलित और जिम्मेदार दृष्टिकोण पर आधारित है। हालांकि, बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए नीति में संशोधन की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है। भारत को अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।